काश ऐसा मंजर होता, मेरे काँधे पे तेरा सर होता
प्यारसे खेलता मै तेरी जुल्फोंसे ,
सांसों का तेरे , दिलसे मेरे
रिश्ता कोई अलग होता
उलझता मै तेरी लट से बारहा , खुश्बूसे तेरी टकराता
महकती हुइ सांसोंसे लिपटता
बेहकता हुवा , यूँही बेह जाता
काश ऐसा मंजर ,मेरा मुक्क्दर होता
एक थेंब तुझ्यासाठी
२८ Nov २०२०
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